अपने मेरी हालत मेरे हालात बता रहे हैं, मुझे तो म | हिंदी कविता

"अपने मेरी हालत मेरे हालात बता रहे हैं, मुझे तो मेरे अपने सता रहे है। लोग केहते है कि अपने तो अपने होते है, पर तब क्या करे जब अपने ही पराये बन जाते है। वह खुशनुमा बातें, मस्तियां, सब झूठे थे............. सोचा था बुरे वक्त के बाद तुम लोग मिले थे, पर क्या पता था तुम लोग जिंदगी को और बर्बाद करने आए थे। और तो और, तुम लोग की तो उल्फ़त बदल गई, नियत बदल गई, झूठ मेरे सर पर थोप कर तुम्हारे लिए तो हकीकत बदल गई। जहा तुम रोए, वहा मै था, जहा तुम लोग हसे, वहा मै था, लेकिन......... मुझे यह बतओ तुम्हारी जिंदगी में कहा मैं था बस एक बात समझ लो........ तुम लोगो ने मेरे आखो से आसु नही गिराए, बल्कि खुद को गिरा लिया। मै तो चुप रह गया, लेकिन कर्मा चुप नही रहेगा। वैसे गलती आपकी भी कहा थी, जरुरत से ज्यादा अच्छा बनुन्गा, फिर जरुरत से ज्यादा रोना भी परेगा ना। तुम लोगो से ना तो नफ़रत है ना प्यार, हाँ....तुम लोगो ने खुद से नफ़रत करवा दी। आज मुझे छोड़ कर गए हो तो जाओ, कल तुम्हे भी तुम्हरी तरह कोइ मिलेगा...... ✍️✍️ हर्ष सिंह ©Harsh Singh"

 अपने

मेरी हालत मेरे हालात बता रहे हैं, 
मुझे तो मेरे अपने सता रहे है।
लोग केहते है कि अपने तो अपने होते है,
पर तब क्या करे जब अपने ही पराये बन जाते है।
वह खुशनुमा बातें, मस्तियां, सब झूठे थे............. 
सोचा था बुरे वक्त के बाद तुम लोग मिले थे,
पर क्या पता था तुम लोग जिंदगी को और बर्बाद करने आए थे।      
       और तो और,
तुम लोग की तो उल्फ़त बदल गई,
 नियत बदल गई,
 झूठ मेरे सर पर थोप कर
तुम्हारे लिए तो हकीकत बदल गई।
 जहा तुम रोए, वहा मै था,
 जहा तुम लोग हसे, वहा मै था,
लेकिन......... मुझे यह बतओ
तुम्हारी जिंदगी में कहा मैं था 
बस एक बात समझ लो........
 तुम लोगो ने मेरे आखो से आसु नही गिराए, 
 बल्कि खुद को गिरा लिया।
मै तो चुप रह गया, 
लेकिन कर्मा चुप नही रहेगा।
वैसे गलती आपकी भी कहा थी,
जरुरत से ज्यादा अच्छा बनुन्गा,
फिर जरुरत से ज्यादा रोना भी परेगा ना।
तुम लोगो से ना तो नफ़रत है ना प्यार, 
हाँ....तुम लोगो ने खुद से नफ़रत करवा दी।
आज मुझे छोड़ कर गए हो तो जाओ,
कल तुम्हे भी तुम्हरी तरह कोइ मिलेगा......
 ✍️✍️ हर्ष सिंह

©Harsh Singh

अपने मेरी हालत मेरे हालात बता रहे हैं, मुझे तो मेरे अपने सता रहे है। लोग केहते है कि अपने तो अपने होते है, पर तब क्या करे जब अपने ही पराये बन जाते है। वह खुशनुमा बातें, मस्तियां, सब झूठे थे............. सोचा था बुरे वक्त के बाद तुम लोग मिले थे, पर क्या पता था तुम लोग जिंदगी को और बर्बाद करने आए थे। और तो और, तुम लोग की तो उल्फ़त बदल गई, नियत बदल गई, झूठ मेरे सर पर थोप कर तुम्हारे लिए तो हकीकत बदल गई। जहा तुम रोए, वहा मै था, जहा तुम लोग हसे, वहा मै था, लेकिन......... मुझे यह बतओ तुम्हारी जिंदगी में कहा मैं था बस एक बात समझ लो........ तुम लोगो ने मेरे आखो से आसु नही गिराए, बल्कि खुद को गिरा लिया। मै तो चुप रह गया, लेकिन कर्मा चुप नही रहेगा। वैसे गलती आपकी भी कहा थी, जरुरत से ज्यादा अच्छा बनुन्गा, फिर जरुरत से ज्यादा रोना भी परेगा ना। तुम लोगो से ना तो नफ़रत है ना प्यार, हाँ....तुम लोगो ने खुद से नफ़रत करवा दी। आज मुझे छोड़ कर गए हो तो जाओ, कल तुम्हे भी तुम्हरी तरह कोइ मिलेगा...... ✍️✍️ हर्ष सिंह ©Harsh Singh

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