(साकी तेरे नाम का )
साकी तेरे प्याले से एक आवाज़ अाई ।
झूमती ,इठलाती ,नशीली एक जाम अाई ।।
यूं तेवर बदले है आज तेरे ये महखाने के,
बहुत बरसो बाद कोई महंगी जाम अाई ।।
आज साकी तू भी बदला सा लगा उसे देखकर ,
में ही काम आऊंगी तुझे बुरे वक्त में तेरे ,
आज भी नशा मुझमें है उससे बेहतर।।
बेशक प्याले बदले है साकी तूने जाम के,
में कल फिर मिलूंगी ,तुझे यही महखाने में ।।
जा तेरे घर वाले रास्ता देख रहे होंगे ।।
विदेशी नहीं जो तेरा घर का रास्ता ना जाने ।।
- रुद्र भिलाला
©Lokesh Bhilala
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