"सुकुं तो है यकीनन
इस शोर ए शराबे से कहीं दूर
शायद उस पर
उस उन्मुक्त से गगन में जहां होती है
तो बस सिर्फ और सिर्फ परिंदो की सुरीली आवाज
और उनकी खुले पंख
एक लम्बी सी उड़ान"
सुकुं तो है यकीनन
इस शोर ए शराबे से कहीं दूर
शायद उस पर
उस उन्मुक्त से गगन में जहां होती है
तो बस सिर्फ और सिर्फ परिंदो की सुरीली आवाज
और उनकी खुले पंख
एक लम्बी सी उड़ान