तन्हा अकेली अँधेरी रात में
कहाँ तू चल पड़ी
किसको तू ख़ोज रही
किसके लिए तू दौड़ रही
क्यों निकली तुम अँधेरी रात में
मुश्किलों भरा होता है सफ़र रात में
करना था अगर सफ़र तो
करती तू सुबह सवेरे
मौसम भी सुहाना रहता तब
मुश्किल है इस अँधेरी रात में सवारी मिलना
लौट जाओ घर को सुबह सवेरे तुम निकालना
©Prabhat Kumar
कोट्स
#प्रभात