रात भर इक चॉंद का साया रहा वो ना था मेरा, फिर भी | हिंदी शायरी

"रात भर इक चॉंद का साया रहा वो ना था मेरा, फिर भी मुझमें समाया रहा कभी पूरा, कभी आधा, तो कभी बिल्कुल भी नहीं मुझसे मिलता भी रहा, मुझको सताता भी रहा आपका अपना: © अभिषेक कुमार वर्मा ©Abhishek Verma"

 रात भर इक चॉंद का साया रहा 
वो ना था मेरा, फिर भी मुझमें समाया रहा
कभी पूरा, कभी आधा, तो कभी बिल्कुल भी नहीं 
मुझसे मिलता भी रहा, मुझको सताता भी रहा

आपका अपना: © अभिषेक कुमार वर्मा

©Abhishek Verma

रात भर इक चॉंद का साया रहा वो ना था मेरा, फिर भी मुझमें समाया रहा कभी पूरा, कभी आधा, तो कभी बिल्कुल भी नहीं मुझसे मिलता भी रहा, मुझको सताता भी रहा आपका अपना: © अभिषेक कुमार वर्मा ©Abhishek Verma

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