मुझे खुद से मिलवाने के लिए, मेरी धड़कनों से मेरी म | हिंदी शायरी

"मुझे खुद से मिलवाने के लिए, मेरी धड़कनों से मेरी मुलाकात करवाने के लिए , मेरी खामियों को मुझसे रूबरू करवाने के लिए शुक्रिया ए- जिंदगी शुक्रिया इसलिए की , मेरी इंसानी अहम को धूल चखाने में कामियाब हो गई तू ए - जिंदगी वरना कहा मैं खुद को पहचान पाती पूरी उम्र यू तलाश में गुजर जाती । कोन हु मै ओरो से पूछती रह जाती मेहरूम समझती थी मैं जिस मोहब्बत को खुद से उसकी झलक खुद में देखा कैसे पाती तुझ बिन ए - जिंदगी आज तक तूने बहुत कुछ दिया ,ओर जो ना दिया उसके लिए भी दिल से शुक्रिया ए-जिंदगी ©सीमा कोमरे"

 मुझे खुद से मिलवाने के लिए,
मेरी धड़कनों से मेरी मुलाकात करवाने के लिए ,
मेरी खामियों को मुझसे रूबरू करवाने के लिए 
शुक्रिया ए- जिंदगी
शुक्रिया इसलिए की ,
मेरी इंसानी अहम को धूल चखाने में
कामियाब हो गई  तू ए - जिंदगी
वरना कहा मैं खुद को पहचान पाती 
पूरी उम्र यू तलाश में गुजर जाती ।
कोन हु मै ओरो से पूछती रह जाती
मेहरूम समझती थी मैं जिस मोहब्बत को 
खुद से उसकी झलक खुद में देखा कैसे पाती 
तुझ बिन ए - जिंदगी
आज तक तूने बहुत कुछ दिया ,ओर जो ना दिया उसके लिए भी दिल से शुक्रिया ए-जिंदगी

©सीमा कोमरे

मुझे खुद से मिलवाने के लिए, मेरी धड़कनों से मेरी मुलाकात करवाने के लिए , मेरी खामियों को मुझसे रूबरू करवाने के लिए शुक्रिया ए- जिंदगी शुक्रिया इसलिए की , मेरी इंसानी अहम को धूल चखाने में कामियाब हो गई तू ए - जिंदगी वरना कहा मैं खुद को पहचान पाती पूरी उम्र यू तलाश में गुजर जाती । कोन हु मै ओरो से पूछती रह जाती मेहरूम समझती थी मैं जिस मोहब्बत को खुद से उसकी झलक खुद में देखा कैसे पाती तुझ बिन ए - जिंदगी आज तक तूने बहुत कुछ दिया ,ओर जो ना दिया उसके लिए भी दिल से शुक्रिया ए-जिंदगी ©सीमा कोमरे

#Flower शुक्रिया ए- जिंदगी

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