गरल से नहीं सुधा
पीने से डर लगता है
मरने से नहीं तन्हा
जीने से डर लगता है
लम्बी सूनी जिंदगी की
क्या ये डगर करें ?
चार दीन की जिंदगी
सही ,साथ हमसफर रहे
साथ होकर भी उसके
न होने से डर लगता है
सुख दुःख में साथ हो
कोई तो ये दील चाहे
ज़ख्म भी हो तो हमदम
मरहम बन जाए
खुद ही दिल का जख्म
सीने से डर लगता है
खीजा में भी साथ उसका
बहार से बढ़कर हैं
फूल भी उसके बीना
तलवार के धार से बढ़कर हैं
पाकर भी फिर उसको
खोने से डर लगता है
प्रभा आभा..✍️
29-04-2023 ¹¹pm
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