अचानक हो रही ये बारिश..।
न जाने कितने दिलों पर किस तरह से अपना छाप छोड़ेगा।
किसी को बचपन की तो किसी को महबूब की याद दिला उनके रिश्तों को जोड़ेगा,
वहीं किसी के आशाओं को भी तोड़ेगा।
कोई बारिश का लुफ्त उठाने को चाय-पकौड़े खायेगा,
तो वही कोई दो रोटी को भी तरस जायेगा।
खेतों में उगे उस सोने को फिर ये बारिश खराब कर जायेगा,
कुछ इस तरह से ये बारिश अपना रूप दिखायेगा
―राधा पान्डेय।
©Radha Pandey
#अचानक_हो_रही_ये_बारिश।..।