उलझी हुई जुल्फ़ गुस्सा दिलाती हैं, सुलझ जाए तो खुश | हिंदी कविता

"उलझी हुई जुल्फ़ गुस्सा दिलाती हैं, सुलझ जाए तो खुशी बढ़ाती हैं, घूम जाए तो चेहरे को सुंदर बनाती हैं, देखो ये जुल्फ़ भी कितना सताती हैं, निकल कर बंधें बालों में से हमारी खुबसूरती में चार चाँद लगाती हैं, ©Nisha Bhargava"

 उलझी हुई जुल्फ़ गुस्सा दिलाती हैं,
सुलझ जाए तो खुशी बढ़ाती हैं, 
घूम जाए तो चेहरे को सुंदर बनाती हैं, 
देखो ये जुल्फ़ भी कितना सताती हैं, 
निकल कर बंधें बालों में से
हमारी खुबसूरती में चार चाँद लगाती हैं,

©Nisha Bhargava

उलझी हुई जुल्फ़ गुस्सा दिलाती हैं, सुलझ जाए तो खुशी बढ़ाती हैं, घूम जाए तो चेहरे को सुंदर बनाती हैं, देखो ये जुल्फ़ भी कितना सताती हैं, निकल कर बंधें बालों में से हमारी खुबसूरती में चार चाँद लगाती हैं, ©Nisha Bhargava

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