ख़त तुम्हें ये ग़म है कि अब चिट्ठियाँ नही आती ..!! | हिंदी Shayari

"ख़त तुम्हें ये ग़म है कि अब चिट्ठियाँ नही आती ..!! हमारी सोचों हमें हिचकियाँ नही आती ..!! ©Shahzad Akhtar"

 ख़त तुम्हें ये ग़म है कि अब चिट्ठियाँ नही आती ..!!

हमारी सोचों हमें हिचकियाँ नही आती ..!!

©Shahzad Akhtar

ख़त तुम्हें ये ग़म है कि अब चिट्ठियाँ नही आती ..!! हमारी सोचों हमें हिचकियाँ नही आती ..!! ©Shahzad Akhtar

#ख़त

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