रातों में फूलों की लाली भी काली, तोड़ा तो कांटों न | हिंदी Poetry

"रातों में फूलों की लाली भी काली, तोड़ा तो कांटों ने दी है हमाली, उठा कर फलक से धरा पे गिरा हूँ, कीमत मिली बेच फूलों को, माली | ये कारोबारी किसी की जरूरत, इंसा बना है,दलाली कबाली.. ©Senty Poet"

 रातों में फूलों की लाली भी काली,
तोड़ा तो कांटों ने दी है हमाली, 
उठा कर फलक से धरा पे गिरा हूँ,
कीमत मिली बेच फूलों को, माली |

ये कारोबारी किसी की  जरूरत,
इंसा बना है,दलाली कबाली..

©Senty Poet

रातों में फूलों की लाली भी काली, तोड़ा तो कांटों ने दी है हमाली, उठा कर फलक से धरा पे गिरा हूँ, कीमत मिली बेच फूलों को, माली | ये कारोबारी किसी की जरूरत, इंसा बना है,दलाली कबाली.. ©Senty Poet

#Rose

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