आसानी से नहीं मिलती क़ामयाबी जहां में रातें कटती है

"आसानी से नहीं मिलती क़ामयाबी जहां में रातें कटती हैं मानो अरसा हो गया | पलक जपके बिना कि जाती हैं सफ़र कि तैयारी चाय कि प्याली का ही सहारा हो गया ताज़गी से जगा जाती है महक इसकी रातों का आसरा यही हमारा हो गया | ©Musafir"

 आसानी से नहीं मिलती क़ामयाबी जहां में
रातें कटती हैं मानो अरसा हो गया |
पलक जपके बिना कि जाती हैं सफ़र कि तैयारी
चाय कि प्याली का ही सहारा हो गया
ताज़गी से जगा जाती है महक इसकी 
रातों का आसरा यही हमारा हो गया |

©Musafir

आसानी से नहीं मिलती क़ामयाबी जहां में रातें कटती हैं मानो अरसा हो गया | पलक जपके बिना कि जाती हैं सफ़र कि तैयारी चाय कि प्याली का ही सहारा हो गया ताज़गी से जगा जाती है महक इसकी रातों का आसरा यही हमारा हो गया | ©Musafir

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