White मेरे कुछ राज़ जिन्हें,
अल्फ़ाज़ की बहुत ज़रूरत रही..!
आँखों में सजे ख़्वाबों में,
किसी और की सूरत रही..!
ज़ोर चला न चाहतों पे अपनी,
मोहब्बत की कैसी ये हुकूमत रही..!
ख़ुद की निग़ाह में चाह कर भी,
रूह बड़ी बेग़ैरत रही..!
ख़ूबसूरती का बख़ान करे जुबान,
क़ीमती ज़रा भी न सीरत रही..!
जिस्मों के ख़रीदार देख यूँ ज़माने में,
ज़िन्दगी को अज़ीब हैरत रही..!
©SHIVA KANT(Shayar)
#Merekuchraaz