फिर चली हवा जोर से, पेड़ हो गए जैसे नए कलियाँ शर् | हिंदी शायरी

"फिर चली हवा जोर से, पेड़ हो गए जैसे नए कलियाँ शर्म से लाल हुईं, बादल हो गए गुम... हम चौखट पर खड़े-खड़े, रस्ता देखते रह गए न तो तुम्हारा खत आया, और न ही आये तुम... ©Ruchi Mishra"

 फिर चली हवा जोर से, 
पेड़ हो गए जैसे नए 
कलियाँ शर्म से लाल हुईं, 
बादल हो गए गुम... 

हम चौखट पर खड़े-खड़े, 
रस्ता देखते रह गए 
न तो तुम्हारा खत आया, 
और न ही आये तुम...

©Ruchi Mishra

फिर चली हवा जोर से, पेड़ हो गए जैसे नए कलियाँ शर्म से लाल हुईं, बादल हो गए गुम... हम चौखट पर खड़े-खड़े, रस्ता देखते रह गए न तो तुम्हारा खत आया, और न ही आये तुम... ©Ruchi Mishra

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