आज लाबो पे जो बात आई है
बतला दूं ये पिछले कर्मो की परछाई है
मगरुर था मशहूर भी था
तिनके तिनके पे एक नूर भी था
छन भर की देरी हुई सूरज डूबने सा लगा
तिनके तिनके का नूर बुझने सा लगा
दिल धड़कने लगा सांसे फूलने लगी
याद आया वो घर, वो सड़क वो गली
मिलने को बेताब , बेबासी में खड़ा
अंधेरा ही अंधेरा हैं कुछ न दिख रहा
मायूस मंजर संभाले खड़ी हैं ये रात
महसूस होता है कुछ , कुछ होता है बात
ये रात ये रात ये भयावह है ये रात।
©Abhishek pathak
#lightning ये भयावह है ये रात।