देखकर उन्हें मैं देखता रह गया मासूमियत देख सोचता र | हिंदी कविता

"देखकर उन्हें मैं देखता रह गया मासूमियत देख सोचता रह गया देखकर उन्हें हम उन्हीं में खो गये और लोग हमें जहां में ढूँढते रह गये वे संवारे हमें अपनी ज़ुल्फ़ों की तरह पर लटों की तरह मैं गालों को उनके चूमता रह गया उन्होंने लिखा हमें गीतों की तरह और मैं होठों पर उनके सजता रह गया लिखते-लिखते उन्होंने हमें इक गज़ल लिख दिया और मैं बाजुओं में उनके पड़ा तकता रह गया देखकर उन्हें मैं देखता रह गया उधर चाँद भी उनसे बेहिसाब जलता रह गया।। राone@ज़िन्दग़ी ©Raone"

 देखकर उन्हें मैं देखता रह गया
मासूमियत देख सोचता रह गया

देखकर उन्हें हम उन्हीं में खो गये
और लोग हमें जहां में ढूँढते रह गये

वे संवारे हमें अपनी ज़ुल्फ़ों की तरह
पर लटों की तरह मैं गालों को उनके चूमता रह गया

उन्होंने लिखा हमें गीतों की तरह
और मैं होठों पर उनके सजता रह गया

लिखते-लिखते उन्होंने हमें इक गज़ल लिख दिया
और मैं बाजुओं में उनके पड़ा तकता रह गया

देखकर उन्हें मैं देखता रह गया
उधर चाँद भी उनसे बेहिसाब जलता रह गया।।

राone@ज़िन्दग़ी

©Raone

देखकर उन्हें मैं देखता रह गया मासूमियत देख सोचता रह गया देखकर उन्हें हम उन्हीं में खो गये और लोग हमें जहां में ढूँढते रह गये वे संवारे हमें अपनी ज़ुल्फ़ों की तरह पर लटों की तरह मैं गालों को उनके चूमता रह गया उन्होंने लिखा हमें गीतों की तरह और मैं होठों पर उनके सजता रह गया लिखते-लिखते उन्होंने हमें इक गज़ल लिख दिया और मैं बाजुओं में उनके पड़ा तकता रह गया देखकर उन्हें मैं देखता रह गया उधर चाँद भी उनसे बेहिसाब जलता रह गया।। राone@ज़िन्दग़ी ©Raone

देखकर उन्हें मैं देखता रह गया

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