अश्रु-लार मय पलक-होठ थें, वो क्या जाने बतियाना। बच | हिंदी विचार

"अश्रु-लार मय पलक-होठ थें, वो क्या जाने बतियाना। बच्चों की तुतली बातें, सुनता ही कौन सयाना।। ©Rajan Singh"

 अश्रु-लार मय पलक-होठ थें,
वो क्या जाने बतियाना।
बच्चों की तुतली बातें, 
सुनता ही कौन सयाना।।

©Rajan Singh

अश्रु-लार मय पलक-होठ थें, वो क्या जाने बतियाना। बच्चों की तुतली बातें, सुनता ही कौन सयाना।। ©Rajan Singh

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