तिनके के समान हलका बनने से, वृक्ष के समान सहिष्णु

"तिनके के समान हलका बनने से, वृक्ष के समान सहिष्णु बनने से, मान छोड़कर दूसरों को मान देने से, इष्ट की महिमा समझने से तथा अभिमान का त्याग करने से साधना शीघ्र सफल होती है। जय माँ गायत्री"

 तिनके के समान हलका बनने से, वृक्ष के समान सहिष्णु बनने से, मान छोड़कर दूसरों को मान देने से, इष्ट की महिमा समझने से तथा अभिमान का त्याग करने से साधना शीघ्र सफल होती है। 

जय माँ गायत्री

तिनके के समान हलका बनने से, वृक्ष के समान सहिष्णु बनने से, मान छोड़कर दूसरों को मान देने से, इष्ट की महिमा समझने से तथा अभिमान का त्याग करने से साधना शीघ्र सफल होती है। जय माँ गायत्री

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