" . चेहरे पर हंसी, दिल मे अरमां लिए . बहुत मुस्कुराया करती थी वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। उसकी एक बहन आंखे तो. छोटे वाली बहुत शर्माया करती थी। वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। . कभी पास्ता कभी परांठा, कभी मैगी बनाया करती थी। कभी तेज़ धूप मे खड़ी होकर अपनी सूरत दिखाया करती थी वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। मुझे बहार बुलाने के लिए. ये तरीका आजमाया करती थी। गली में खड़ी हो तेज चिल्लाया करती थी. वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। उसके काले कुर्ते वाली ड्रेस, मुझे बहुत भाया करती थी। पूछकर हाल अपनी ड्रेस का. खुद को रिझाया करती थी. वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। अपनी बड़ी बहन से भी कभी -2 बात कराया करती थी। मोहल्ले वालों से सावधान रहो वो ये समझाया करती थी। वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। #उसके हिस्से के सारे गम, उसकी खुशी में तब्दील हो जाए ऐ!खुदा ऐसी रहम कर मेरी उम्र भी लड्डू को लग जाए। ©Pagal "
. चेहरे पर हंसी, दिल मे अरमां लिए . बहुत मुस्कुराया करती थी वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। उसकी एक बहन आंखे तो. छोटे वाली बहुत शर्माया करती थी। वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। . कभी पास्ता कभी परांठा, कभी मैगी बनाया करती थी। कभी तेज़ धूप मे खड़ी होकर अपनी सूरत दिखाया करती थी वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। मुझे बहार बुलाने के लिए. ये तरीका आजमाया करती थी। गली में खड़ी हो तेज चिल्लाया करती थी. वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। उसके काले कुर्ते वाली ड्रेस, मुझे बहुत भाया करती थी। पूछकर हाल अपनी ड्रेस का. खुद को रिझाया करती थी. वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। अपनी बड़ी बहन से भी कभी -2 बात कराया करती थी। मोहल्ले वालों से सावधान रहो वो ये समझाया करती थी। वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। #उसके हिस्से के सारे गम, उसकी खुशी में तब्दील हो जाए ऐ!खुदा ऐसी रहम कर मेरी उम्र भी लड्डू को लग जाए। ©Pagal
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