White कंटक कुल में क्यूं खिली है कलियां, विपदा जन् | हिंदी कविता

"White कंटक कुल में क्यूं खिली है कलियां, विपदा जन्म से पाई है। सहनशील है इस मतलब से क्या,, पूरी जिंदगी गंवाई है।। शूल बने अपने ही घर के, मातम पसरा है उस दर पे, जिस घर में नारी लक्ष्मी हो, उस पर ही दोषारोपण हो, फिर सब संपन्न संपदा की चाबियां, अपने कमर लटकाई है। सहनशील है इस मतलब से क्या,, पूरी जिंदगी गंवाई है।। जब प्रारंभ ही शुभ जानो, सारा लाभ बेटी को मानो, अंतर क्यों इनमें जानों, अपने को गर्व से तानो, ये बेटियां प्रारंभ है कोई अंत नहीं है, इसने घर की शान बनाई है। सहनशील है इस मतलब से क्या,, पूरी जिंदगी गंवाई है।। ©Satish Kumar Meena"

 White कंटक कुल में क्यूं खिली है कलियां,
विपदा जन्म से पाई है।
सहनशील है इस मतलब से क्या,,
पूरी जिंदगी गंवाई है।।

शूल बने अपने ही घर के,
मातम पसरा है उस दर पे,
जिस घर में नारी लक्ष्मी हो,
उस पर ही दोषारोपण हो,

फिर सब संपन्न संपदा की चाबियां,
अपने कमर लटकाई है। 
सहनशील है इस मतलब से क्या,,
पूरी जिंदगी गंवाई है।।

जब प्रारंभ ही शुभ जानो,
सारा लाभ बेटी को मानो,
अंतर क्यों इनमें जानों,
अपने को गर्व से तानो,

ये बेटियां प्रारंभ है कोई अंत नहीं है,
इसने घर की शान बनाई है।
सहनशील है इस मतलब से क्या,,
पूरी जिंदगी गंवाई है।।

©Satish Kumar Meena

White कंटक कुल में क्यूं खिली है कलियां, विपदा जन्म से पाई है। सहनशील है इस मतलब से क्या,, पूरी जिंदगी गंवाई है।। शूल बने अपने ही घर के, मातम पसरा है उस दर पे, जिस घर में नारी लक्ष्मी हो, उस पर ही दोषारोपण हो, फिर सब संपन्न संपदा की चाबियां, अपने कमर लटकाई है। सहनशील है इस मतलब से क्या,, पूरी जिंदगी गंवाई है।। जब प्रारंभ ही शुभ जानो, सारा लाभ बेटी को मानो, अंतर क्यों इनमें जानों, अपने को गर्व से तानो, ये बेटियां प्रारंभ है कोई अंत नहीं है, इसने घर की शान बनाई है। सहनशील है इस मतलब से क्या,, पूरी जिंदगी गंवाई है।। ©Satish Kumar Meena

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