खुशी की बाट जोहूं तो
उदासी को सुकूं आए।।
आशा के दीप जलाऊं तो,
निराशा की आंधी आ जाए
रहा उदास अरसे तक
तेरी करुणा को न जाना।
चढ़ा मैं घाट पर्वत के
तेरे दर पे था मुझे जाना।
कहा था,कुछ नहीं मैंने
पर तूने सब सुन लिया था माॅं।
हुई बरसात खुशियों की
जीवन में सुकूं मिला माँ।।
©Navash2411
#नवश