दिल तो बहुत चाहता था कि बात करूँ पहले की तरह
लेकिन अफ़सोस
अब
तुम पहले जैसे नहीं रहे
बातें नहीं की तुमसे फिर भी साथ रहने को जी चाहता था
तुम हाथ पकड़ कर रोक तो लेते
मेरा रुकने को जी चाहता था
मेरी जुबां बंद हो गई थी पता नहीं क्या सोचकर....
मुझे टटोल कर तो देखती
तुमसे बहुत कुछ कहने को जी चाहता था
न जी रहा हूँ न मर रहा हूं अब तो
तुम्हें देखकर जीने की
तुमपे ही मरने को जी चाहता था
©TheDavidPathak