ये बात और है! हम चल ना सके! ज़माने के साथ! कोशिश ब | हिंदी कविता

"ये बात और है! हम चल ना सके! ज़माने के साथ! कोशिश बहुत की! कभी लड़खड़ा कर! कभी सम्हाल कर! हर कदम बढ़ा कर! वक़्त थम गया! एक सवाल पर! क्या तुमसे हो पायेगा! तुम्हारे बिखराव को! समेट पाना! या हमेशा की तरह! फिर बिखर जाओगे! कभी ना कभी ना सिमट जाने को ©Ranu Shukla"

 ये बात और है!
हम चल ना सके!
ज़माने के साथ!
कोशिश बहुत की!
कभी लड़खड़ा कर!
कभी सम्हाल कर!
हर कदम बढ़ा कर!
वक़्त थम गया!
एक सवाल पर! 
क्या तुमसे हो पायेगा!
तुम्हारे बिखराव को!
समेट पाना!
या हमेशा की तरह!
फिर बिखर जाओगे!
कभी ना कभी ना
सिमट जाने को

©Ranu Shukla

ये बात और है! हम चल ना सके! ज़माने के साथ! कोशिश बहुत की! कभी लड़खड़ा कर! कभी सम्हाल कर! हर कदम बढ़ा कर! वक़्त थम गया! एक सवाल पर! क्या तुमसे हो पायेगा! तुम्हारे बिखराव को! समेट पाना! या हमेशा की तरह! फिर बिखर जाओगे! कभी ना कभी ना सिमट जाने को ©Ranu Shukla

#achievement

People who shared love close

More like this

Trending Topic