कुछ अभाव
कुछ कमी
सदैव ही रहेगी
मेरी भाषा में
मात्राओं की
अलंकारो की
व्याकरण की
थोड़े से दुःखों की भी
थोड़े से प्रेम की
थोड़ी सी विरह की
थोड़ी आँसूओं में नमक की
कहाँ सब सर्वगुण संपन्न होते हैं ?
ना तुम ना मैं या शायद
ईश्वर स्वयं भी थोड़ा सा अधूरा.......
~ नारायणी
©narayni
#हिंदी_कविता
#हिंदीपंक्तियाँ
#OneSeason