दिल कांच सा ही है अब तोड़ना हो तो एक बार ही में तो | हिंदी Shayari

"दिल कांच सा ही है अब तोड़ना हो तो एक बार ही में तोड़ दो गालिब क्यों इतनी भी इश्क़ निभाते हो मोम सी ही हूं अब भी मैं क्यों आग से उलझते हो मेरे लिए, फिर अपने हाथों में ज़ख्म कर आते हो ©Tripti tejal"

 दिल कांच सा ही है अब
तोड़ना हो तो एक बार ही में तोड़ दो गालिब
क्यों इतनी भी इश्क़ निभाते हो
मोम सी ही हूं अब भी मैं
क्यों आग से उलझते हो मेरे लिए, फिर अपने हाथों में ज़ख्म कर आते हो

©Tripti tejal

दिल कांच सा ही है अब तोड़ना हो तो एक बार ही में तोड़ दो गालिब क्यों इतनी भी इश्क़ निभाते हो मोम सी ही हूं अब भी मैं क्यों आग से उलझते हो मेरे लिए, फिर अपने हाथों में ज़ख्म कर आते हो ©Tripti tejal

#लव

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