जब तू ही नहीं मुहल्लें में,
त का रखा है ई हुल्लड़-हल्लें में,
कउन सा रंग, लगिहे कउन अंग,
किसको ढूंढे हम दो तल्ले में,
आ, जब तू ही नहीं मुहल्लें में,
त का रखा है ई हुल्लड़-हल्लें में।
लाल-हरा सब रंग मिलाईबे,
भर अंगनवा खूब पियराई बे,
कौन रंगिये हमके कल्ले में,
फागुआ गुजरिये हाथ मल्ले में,
आ, जब तू ही नहीं मुहल्लें में,
त का रखा है ई हुल्लड़-हल्लें में।
त का रखा है ई हुल्लड़-हल्लें में,