मेरी उलझनों को सुलझायेगा कौन! जो तू रूठा तो गले लग | हिंदी कविता

"मेरी उलझनों को सुलझायेगा कौन! जो तू रूठा तो गले लगायेगा कौन!! मैं एक साधारण लड़का हूं l मेरा हाथ पकड़ कर समझायेगा कौन!! पता है मैं बात बात पर रूठ जाता हूं, जो तू ही रूठ जाएगा तो मनायेगा कौन!! मैं तो हूं तुम्हारे साथ ऐसा कह कर आंसू हटायेगा कौन!! Uk ©उत्कर्ष शुक्ल UK"

 मेरी उलझनों को सुलझायेगा कौन!
जो तू रूठा तो गले लगायेगा कौन!!
मैं एक  साधारण लड़का हूं l 
मेरा हाथ पकड़  कर समझायेगा कौन!!
पता है मैं बात बात पर रूठ जाता हूं, 
जो तू ही रूठ जाएगा तो मनायेगा कौन!!
 मैं तो हूं तुम्हारे साथ 
ऐसा कह कर आंसू हटायेगा कौन!!
Uk

©उत्कर्ष शुक्ल UK

मेरी उलझनों को सुलझायेगा कौन! जो तू रूठा तो गले लगायेगा कौन!! मैं एक साधारण लड़का हूं l मेरा हाथ पकड़ कर समझायेगा कौन!! पता है मैं बात बात पर रूठ जाता हूं, जो तू ही रूठ जाएगा तो मनायेगा कौन!! मैं तो हूं तुम्हारे साथ ऐसा कह कर आंसू हटायेगा कौन!! Uk ©उत्कर्ष शुक्ल UK

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