सहमा सा ये शहर
सड़कों का सूना मंज़र
अज्ञात रोग से ये डर
हमेशा नहीं रहना
फिर दिखेगा सपनों को
नया सुनहरा आसमान
फिर से बच्चे खेलेंगे
भरेंगे सुन्दर उड़ान
बगीचों में फ़ूल खिलेंगे
रंग रंग के सारे
जिन पर तितली बैठेगी
पँख फैला के प्यारे
नहीं रहेगा ये मंज़र
नहीं रहेगा ये समां
हिम्मत डर से जीतेगी
मुस्काएगा ये जहां
-Anubhuti Hajela
#Fir muskayega jahaan