कुछ पल सकून से बिता लेता मैं ।। अगर तुम्हारी इजाज़त | हिंदी कविता

"कुछ पल सकून से बिता लेता मैं ।। अगर तुम्हारी इजाज़त होती.. तुम्हारी आँखों से काजल चुरा लेता मैं.. अगर तुम्हारी इजाज़त होती.. तुम्हें खुद से कभी मिलाता मैं.. अगर तुम्हारी इजाज़त होती.. तुम्हारी बाहों में हर लम्हा बिताता मैं अगर तुम्हारी इजाज़त होती।। तुम्हें देखते देखते हाय मर जाता मैं.. अगर तुम्हारी इजाज़त होती।। ©Pankaj Singh"

 कुछ पल सकून से बिता लेता मैं ।।
अगर तुम्हारी इजाज़त होती..

तुम्हारी आँखों से काजल चुरा लेता मैं..
अगर तुम्हारी इजाज़त होती..

तुम्हें खुद से कभी मिलाता मैं..
अगर तुम्हारी इजाज़त होती..

तुम्हारी बाहों में हर लम्हा बिताता मैं
अगर तुम्हारी इजाज़त होती।।

तुम्हें देखते देखते हाय मर जाता मैं..
अगर तुम्हारी इजाज़त होती।।

©Pankaj Singh

कुछ पल सकून से बिता लेता मैं ।। अगर तुम्हारी इजाज़त होती.. तुम्हारी आँखों से काजल चुरा लेता मैं.. अगर तुम्हारी इजाज़त होती.. तुम्हें खुद से कभी मिलाता मैं.. अगर तुम्हारी इजाज़त होती.. तुम्हारी बाहों में हर लम्हा बिताता मैं अगर तुम्हारी इजाज़त होती।। तुम्हें देखते देखते हाय मर जाता मैं.. अगर तुम्हारी इजाज़त होती।। ©Pankaj Singh

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