निलय-सफ़ाई चल रही, दीवाली की बात। लीपा पोती चल | हिंदी Poetry

"निलय-सफ़ाई चल रही, दीवाली की बात। लीपा पोती चल रही, लिछमी आवैं रात।। जनता को बहकात सब, नेता-नेती जोय। लीपा पोती चल रही, जान न पावै कोय।। दुर्गुण मुझ में हैं बहुत, समुझत मन, मति माहिं। लीपा पोती चल रही, मन सुधरन दे नाहिं।। साफ़ करै घर को मगर, मन को सुख नहिं कोय। अन्तर मन पावन नहीं, तब सुख कैसे होय।। ©Shiv Narayan Saxena"

 निलय-सफ़ाई  चल रही, दीवाली की बात।
 लीपा  पोती  चल  रही, लिछमी  आवैं रात।।

जनता को बहकात सब, नेता-नेती जोय।
लीपा पोती  चल रही, जान न पावै कोय।।

दुर्गुण मुझ में हैं बहुत, समुझत मन, मति माहिं।
लीपा पोती  चल रही,  मन   सुधरन   दे  नाहिं।।

साफ़ करै घर को मगर, मन को सुख नहिं कोय।
अन्तर मन  पावन नहीं,  तब   सुख   कैसे  होय।।

©Shiv Narayan Saxena

निलय-सफ़ाई चल रही, दीवाली की बात। लीपा पोती चल रही, लिछमी आवैं रात।। जनता को बहकात सब, नेता-नेती जोय। लीपा पोती चल रही, जान न पावै कोय।। दुर्गुण मुझ में हैं बहुत, समुझत मन, मति माहिं। लीपा पोती चल रही, मन सुधरन दे नाहिं।। साफ़ करै घर को मगर, मन को सुख नहिं कोय। अन्तर मन पावन नहीं, तब सुख कैसे होय।। ©Shiv Narayan Saxena

#दीवाली तब सुख कैसे होय.....

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