आज़ादी
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अंग्रेजों से तो आज़ादी मिल गई हमे,
लेकिन आज़ादी कुछ विचारों की भी तो चाहिए,
आज भी बहुत जगह बेटियों को
सिर्फ और सिर्फ घर का काम करने की मशीन माना जाता है
उन्हें भी तो दो पल सुकुन की आज़ादी चाहिए,
आज भी अगर कोई लड़का गलती से सबके सामने रो दे
तो लोग हंसकर कहते हैं-
अरे! चुप होजा, लड़का हो कर भी रो रहा है,
मै पूछती हूं लड़का है तो क्या??
इंसान ही है ना?
उसकी आंखों को भी तो कभी कभी रो देने की आज़ादी चाहिए,
आज वक्त ऐसा आ गया है कि-
मां-बाप, गलती होने पर भी अपने बच्चों को डांट नही सकते,
क्योंकि बच्चे छोटी छोटी बातों पर मरने की धमकी देते हैं ना,
उन मां-बाप को भी तो अपना ये हक जताने की आज़ादी होनी चाहिए,
लड़कियां आज भी बाहर बेखौफ नहीं घूम सकती,
क्योंकि कुछ आवारा लड़कों का डर होता है ना
उन्हे भी तो बेखौफ जीने की आज़ादी चाहिए,
बहुत खुश हूं मै
के हमे अंग्रेजों से आज़ादी मिल गई,
लेकिन आज़ादी कुछ विचारों की भी तो चाहिए।
जय हिंद।
©SanjuDeswal
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