जिसको खुद की ऊंचाई पर न गुमान🤨 होता है,
लाखों तारें ✨ हों जिसके गोद में वही आसमान 🌌होता है।
हाथ भर का है सफर तेरा इतराता😤 है क्यों,
मोहब्बत 🌹 हो जिस घर🏠 में वही मकान होता है।
आंख उठाकर देख ले🧐 मशरीक मगरीब सुमाल जनूब,
जो दाएं हाथ✋ में मिले वही शान✊ होता है,
थोड़ी खौफ😰 भी कर नौशाद अखिर 🔥 के लिए,
जरा संभल✋ के चल तू क्यों अपनी ईमान✍️ खोता है।
©Naushad saalam
रूबाई✍️✍️✍️