खुश है शाम को गाढ़ी कमाई मिलेगी। पर डर भी है रस्ते | हिंदी शायरी

"खुश है शाम को गाढ़ी कमाई मिलेगी। पर डर भी है रस्ते में महंगाई मिलेगी। फिर भी वो लड़कर बचाकर लाता है, पता है औलाद पलकें बिछाई मिलेगी। गरीब गरीब,अमीर अमीर हो रहा है, इनके बीच बहुत बड़ी खाई मिलेगी। आपस में जुड़े हुए सब तार जानते हैं, ऊपर से नीचे सबको बँधाई मिलेगी। प्यादों के पास सिर्फ़ तेल मिलता है, सूत्रधारों के पास दियासलाई मिलेगी। ══════❥❥══════ ©Navash2411"

 खुश है शाम को गाढ़ी कमाई मिलेगी।
पर डर भी है रस्ते में महंगाई मिलेगी।

फिर भी वो लड़कर बचाकर लाता है,
पता है औलाद पलकें बिछाई मिलेगी।

गरीब गरीब,अमीर अमीर हो रहा है,
इनके बीच बहुत बड़ी खाई मिलेगी।

आपस में जुड़े हुए सब तार जानते हैं,
ऊपर से नीचे सबको बँधाई मिलेगी।

प्यादों के पास सिर्फ़ तेल मिलता है,
सूत्रधारों के पास दियासलाई मिलेगी।
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©Navash2411

खुश है शाम को गाढ़ी कमाई मिलेगी। पर डर भी है रस्ते में महंगाई मिलेगी। फिर भी वो लड़कर बचाकर लाता है, पता है औलाद पलकें बिछाई मिलेगी। गरीब गरीब,अमीर अमीर हो रहा है, इनके बीच बहुत बड़ी खाई मिलेगी। आपस में जुड़े हुए सब तार जानते हैं, ऊपर से नीचे सबको बँधाई मिलेगी। प्यादों के पास सिर्फ़ तेल मिलता है, सूत्रधारों के पास दियासलाई मिलेगी। ══════❥❥══════ ©Navash2411

#नवश

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