अल्फ़ाज़ मेरे दिल के, सब उनसे ही कहना चाहती हूं
उनसे रूठना उन्हें मनाना चाहती हूं
प्यार ही नहीं गुस्सा भी जाहिर करना चाहती हूं
उनके सामने हंसना ही नहीं खुल के रोना भी चाहती हूं
गुस्सा, प्यार , सुख दुख सब बयां करना चाहती हूं
लेकिन डरती हूं उनके रूठने से उन्हें खोने से
और इसलिए मन के शोर को मन में रखकर
दिल के अल्फाजों को दिल में ही रखकर
चेहरे पर शांत मुस्कान लिए रहती हूं