कभी घनी स्याह रात में,
निहारना टिम टिम करते तारों को।
ऐसा लगता है जैसे भगवान ने,
लगाये हों असंख्य सीसीटीवी कैमरे।
गोया ऐसा लगता हो जैसे
किसी की हम पर है दृष्टी?
हमें पता नहीं कि सब हो रहा है रिकार्ड
इन तारों के माध्यम से
हमारा अहंकार, हमारे अपराध
दान दया और पुण्य भी।
हम कुछ नहीं कर सकते
सुदूर नभ के इन तारों का।
कुछ जरूर कर सकते हैं,
वह है अपना आत्मसुधार।
©Kamlesh Kandpal
#kvita