आज तक जाने कितने चेहरे देखे
देखे पसीने में हंसते परिवार,
कहीं AC में सन्नाटे देखे,
जिंदगी जीने के कितने तरीके देखे।।
खामोशी में बोलते अल्फाज देखे,
कितने चेहरों पर चेहरे देखे,
आजादी देखी बंद पड़ी रिवाजों में,
और आजाद घरों में पहरे देखे,
न जाने जिंदगी जीने के कितने तरीके देखे।।
झूठ का सच,सच का झूठ हुआ,
कितने आबाद हुए, कितनो के घर बिखरे देखे,
अंधियारा हुआ किसी की महफिल में,
कहीं तन्हाई में भी चिराग जलते देखे,
जाने जिंदगी जीने के कितने तरीके देखे।।
भोले भालो की चालाकियां देखी,
वार सीधों के दोहरे देखे,
खरोंच पर भी तमाशा करते,
हस्ते देखे दुख में भी,
कोने में छुप कर रोए ऐसे,
मासूमों के घाव गहरे देखे,
जिंदगी जीने के जाने कितने तरीके देखे।।
©Varsha
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