समझा नही जो कभी मेरे जज़्बा ए उल्फत को, तरसता रहा व | हिंदी Shayari Vid

"समझा नही जो कभी मेरे जज़्बा ए उल्फत को, तरसता रहा वो शक़्श ता-उम्र मेरी मोहब्बत को. ©Shanur Rahman "

समझा नही जो कभी मेरे जज़्बा ए उल्फत को, तरसता रहा वो शक़्श ता-उम्र मेरी मोहब्बत को. ©Shanur Rahman

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