पहली किरण से हौसला उठता, संध्या पर थम जाता है
नई राह मिली नही , रूकावट का काफिला संग आता है
मै अपने सपनो को वक्त दू भी तो कैसे?,
परिवार की जिम्मेदारियां भी तो हैं
ओर ख्वाब तो आसमान छूने के है ,
अभी छत से टपकता पानी भी तो है
बहुत आसान है सफलता पर संघर्ष की कहानी
मुश्किल केवल संघर्ष को कहना संघर्ष की जुबानी ।।
©Meri Kalam
#संघर्ष_ए_जिंदगी