शेर कफन भी उदार था जिनका, मेरे पास कर्ज़ रह गया। | हिंदी शायरी

"शेर कफन भी उदार था जिनका, मेरे पास कर्ज़ रह गया। मौत भी हँसता रह मुझे देखकर, कैसा शक्स है, मर गया लेखिन् मर कर भी एक सवाल दे गया।। लेखक : विजय सर जी ©Vijay Kumar"

 शेर 

कफन भी उदार था जिनका, मेरे पास कर्ज़ रह गया। 
मौत भी हँसता रह मुझे देखकर, 
कैसा शक्स है, मर गया लेखिन् 
मर कर भी एक सवाल दे गया।। 

लेखक : विजय सर जी

©Vijay Kumar

शेर कफन भी उदार था जिनका, मेरे पास कर्ज़ रह गया। मौत भी हँसता रह मुझे देखकर, कैसा शक्स है, मर गया लेखिन् मर कर भी एक सवाल दे गया।। लेखक : विजय सर जी ©Vijay Kumar

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