White बचपन का बचपना अभी गया नहीं है
तितलियों सा उड़ने का मन करता है अभी भी मेरा
यादों में बसे हैं वो बचपन के खेल खिलौने
कोई भूलें भी कैसे बचपन का वो अल्हड़पन
पर अब वो रहा ना बचपन उस बचपने को अब हैं
इस दिल में दबाना, भोलेपन की दुनिया रहीं न अब
हर इक गली में अब इंसान बनकर हैं भेड़िए बैठे
घात लगाए वो बेटियों को लुटने का है इंतजार करते
किस ख़ता की सज़ा है पाईं ना समझ में आया
क्या ऐसा करने से पहले क्यूं इनको दया ना आईं
©Sarita Kumari Ravidas
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