पढ़ाई तो बहुत कर ली आजकल बच्चों ने |
मगर संस्कार कहीं बचे ही नहीं ||
पहले भाई से अलग हुआ करते थे, आजकल माँ-बाप से |
परिवार अब कहीं बचा ही नहीं ||
एक ही घर में रहते है पति-पत्नी |
आपस में संवाद ही नहीं
घंटो फ़ोन चलाते है घर में सभी |
आपस में बात करने का समय ही नहीं
पैसे और मतलब देखकर रिश्तेदार बदलते है आजकल |
सच्चे रिश्ते कहीं बचे ही नहीं |
शादियों में हजारो की भीड़ आयी है |
मगर अपना कोई भी नहीं
कहने को तो हजारों दोस्त है फेसबुक और इंस्टा पर |
मगर मिले कभी किसी से भी नहीं
महंगा खाना खाते है होटलो में |
मगर माँ-बाप की दवाई के पैसे ही नहीं ||
बटवारे में माँ तेरी, बाप मेरा हो गया |
माँ-बाप अब कहीं बचे ही नहीं ||
घर बदले, दोस्त बदले, औलाद भी बदल गयी |
एक रिश्ता है माँ का, जो आज भी बदला ही नहीं
©kavi jaipal
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