Rhyme (तुकबन्दी)- चरस by Shaarang Deepak (शारंग दीपक)॥ Poem name- चरस
Namaskar,
This rhyme is a four liner tukbandi (not in meter) comparing the effects of Hashish with the effects of meeting a lover.
लगता है तुम भी चरस पी रहे हो,
या जो भी मिला दस्तरस पी रहे हो,
इतना नशा किसको होता है आख़िर,