मां जीवित है आज भी मेरे अन्तर्मन में माँ जीवित हैं | हिंदी Shayari

"मां जीवित है आज भी मेरे अन्तर्मन में माँ जीवित हैं मेरे चेतन और अवचेतन में मेरे हर भावों और कल्पनाओं में।। मां दिखती है अक्सर मेरी रसोई के खाने में मां खनकती हैं मेरी थाली और प्लेट में मां महकती है अक्सर मेरे ऑंगन और दहलीज में।। मां तुम चिरायु हो तुम जिंदा रहती हो हर दम मुझमे साथ चलोगी तुम मेरे आजन्म चिरकाल तक मेरे अनंत सफर में।। ©Divya maurya(लिपि)"

 मां जीवित है आज भी
मेरे अन्तर्मन में
माँ जीवित हैं मेरे
चेतन और अवचेतन में
मेरे हर भावों और कल्पनाओं में।।

मां दिखती है अक्सर 
मेरी रसोई के खाने में
मां खनकती हैं मेरी
थाली और प्लेट में
मां महकती है अक्सर
मेरे ऑंगन और दहलीज में।।

मां तुम चिरायु हो
तुम जिंदा रहती हो हर दम मुझमे
साथ चलोगी तुम मेरे आजन्म
चिरकाल तक मेरे अनंत सफर में।।

©Divya maurya(लिपि)

मां जीवित है आज भी मेरे अन्तर्मन में माँ जीवित हैं मेरे चेतन और अवचेतन में मेरे हर भावों और कल्पनाओं में।। मां दिखती है अक्सर मेरी रसोई के खाने में मां खनकती हैं मेरी थाली और प्लेट में मां महकती है अक्सर मेरे ऑंगन और दहलीज में।। मां तुम चिरायु हो तुम जिंदा रहती हो हर दम मुझमे साथ चलोगी तुम मेरे आजन्म चिरकाल तक मेरे अनंत सफर में।। ©Divya maurya(लिपि)

#MothersDay

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