दर-ब-दर ठोकरें खाईं तो ये मालूम हुआ घर किसे कहत | हिंदी Shayari

"दर-ब-दर ठोकरें खाईं तो ये मालूम हुआ घर किसे कहते हैं क्या चीज़ है बे-घर होना Unknown ©Deepak Kumar 'Deep'"

 दर-ब-दर ठोकरें खाईं 
तो ये मालूम हुआ 

घर किसे कहते हैं 
क्या चीज़ है बे-घर होना

Unknown

©Deepak Kumar 'Deep'

दर-ब-दर ठोकरें खाईं तो ये मालूम हुआ घर किसे कहते हैं क्या चीज़ है बे-घर होना Unknown ©Deepak Kumar 'Deep'

#House

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