माना के हम यार नहीं
लो तय है के प्यार नहीं
फिर भी नजरें ना तुम मिलाना
दिल का ऐतबार नहीं
माना के हम यार नहीं...
रास्ते में जो मिलो तो
हाथ मिलाने रुक जाना
हो...
साथ में कोई हो तुम्हारे
दूर से ही तुम मुस्काना
लेकिन मुस्कान हो ऐसी
कि जिसका इकरार नहीं
नज़रों से ना करना तुम बयां
वो जिसका इन्कार नहीं
माना के हम यार नहीं...
फूल जो बंद है पन्नो में
तुम उसको धूल बना देना
बात छेड़े जो मेरी कहीं
तुम उसको भूल बता देना
लेकिन वो भूल हो ऐसी
जिसका बेज़ार नहीं
तू जो सोये तो मेरी तरह
इक दोस्त को भी करार नहीं
माना कि हम यार नहीं...
किसी दराज़ के कोने में
तेरी तसवीर मिली है
फिर वही काँटों का सफर
वही फूलों की गली
वही फूलों की गली
©Rohit Rajpoot
#apart