White बड़ी ख़ूबसूरत है ज़िंदगी जो चल रही है इशरत क | हिंदी शायरी

"White बड़ी ख़ूबसूरत है ज़िंदगी जो चल रही है इशरत के पलों से ये जो पिघल रही है दर्द-ओ-ग़म है इसमें मैं मना कहाँ करता हूँ बा-वज़ूद इसके ख़ुद में संभल रही है जानती है नफ़रत भी और मुहब्बत भी पहलू अच्छा रख बुराई जो निगल रही है कट जाती नहीं अब यह गुज़रना चाहती है सफ़र में मंज़िल मिले न मिले चल रही है दूर कहीं इक़ तलाश में अब इसे जाना है बस मुझे आख़री दफ़ा मिल के निकल रही है ©विशाल पांढरे"

 White बड़ी ख़ूबसूरत है ज़िंदगी जो चल रही है
इशरत के पलों से ये जो पिघल रही है

दर्द-ओ-ग़म है इसमें मैं मना कहाँ करता हूँ
बा-वज़ूद इसके ख़ुद में संभल रही है

जानती है नफ़रत भी और मुहब्बत भी
पहलू अच्छा रख बुराई जो निगल रही है

कट जाती नहीं अब यह गुज़रना चाहती है
सफ़र में मंज़िल मिले न मिले चल रही है

दूर कहीं इक़ तलाश में अब इसे जाना है
बस मुझे आख़री दफ़ा मिल के निकल रही है

©विशाल पांढरे

White बड़ी ख़ूबसूरत है ज़िंदगी जो चल रही है इशरत के पलों से ये जो पिघल रही है दर्द-ओ-ग़म है इसमें मैं मना कहाँ करता हूँ बा-वज़ूद इसके ख़ुद में संभल रही है जानती है नफ़रत भी और मुहब्बत भी पहलू अच्छा रख बुराई जो निगल रही है कट जाती नहीं अब यह गुज़रना चाहती है सफ़र में मंज़िल मिले न मिले चल रही है दूर कहीं इक़ तलाश में अब इसे जाना है बस मुझे आख़री दफ़ा मिल के निकल रही है ©विशाल पांढरे

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