"बचपन बहुत सुकून भरा था
तब ना मुसीबतें थी ना परेशानी
पर अब तो बचपन की सिर्फ यादें है
माँ पापा के सामने ज़िद्द करते थे
झुटे आंसू दिखा कर बात मनवाते थे
पर अब तो बचपन की सिर्फ यादें है
मेहमानों के आने पर समोसे खाते थे
बिन डरे बाहर रोज़ घूमने जाते थे
पर अब तो बचपन की सिर्फ यादें है
स्कूल की घण्टी से पहले टिफ़िन खोलते थे
होमवर्क ना करके टीचर से भी छुपते थे
पर अब तो बचपन की सिर्फ यादें है
©Author Shahista Agwan
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