इकरार भी नही किया, वफा का वादा भी नहीं
वो हम से रूठे थे मगर इस कदर भी नही
बरस रही थी प्यार की दौलत हर जगह
वस हम ही थे जिनके लिए इक नजर ही नही
जिन्दगी के सफर में उम्मीद लगाए बैठी हूँ
यह जानती हूँ मैं यह मेरी मंजिल ही नहीं
इस जमीं आसमां की सब की फ़िक्र है
इक हम ही है जिनकी खबर ही नही
इस दुनियां में आख़िर किस नाम की मुहब्बत सकून-ए-कल्व इधर भी नहीं उधर भी नही
©Meenu Gupta
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