समंदर की लहरों में पांव डालकर अंदर तक
भीग जाना अब पसंद है मुझे,
खुद को सुलगा कर भी ज़माने को
जलाना भी अब पसंद है मुझे l
ज़माने से वफाई की आशा करना भी ठीक है
पर तेरे वो बेवफा लहज़े भी पसंद है मुझे l
झूठा ही सही पर जब तू मेरी थी तब भी
कभी तेरा न हो सका मै,
पर घुटता हुं की मुझे तुझसे मोहब्बत थी
महज़ इतना भी न कह सका मै l
©N.T. Novels
#uskiyaadmein (part-3)