"दिल में उम्मीद लिए
बेसब्री से इंतजार में
काश कोई होता
पल दो पल ही सही
दिल में उम्मीद लिए
थक हार कर
उड़ चला यह परिंदा मन
प्यार की कश्ती पर सवार
न जाने कब होगी मुलाकात
दिल में उम्मीद लिए
इश्क की गली में
सपने देखते हुए
सुकून की तलाश में
भटका मन इधर-उधर
बस ख्वाब बुनते
दिल में उम्मीद लिए
गर्ग अभिराज ठाकुर अभिषेक शुक्ल
©गर्ग अभिराज ठाकुर
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